इंद्रधनुष की छटा निराली ,
कभी लालिमा तो कभी हरियाली ,
जीवन की भी रीत ऐसी ,
कभी आँसू तो कभी बातें सुहासी।
धनुष है सन्देश प्रेम का
धरती से आकाश के मिलन का ,
और जीवन
स्वयं ईश्वर से मानव का।
फूल खिल उठते हैं ,
पक्षी सुरीले गीत गाते हैं ,
बरखा और सूरज मिल कर नाचते हैं ,
जब इंद्रधनुष के दर्शन होते हैं।
और यहाँ गोली चलती है ,
छुरी भोंकी जाती हैं ,
उसी जीवन को ख़त्म करने के लिए ,
जो ईश्वर से हमें मिलता है।
इंद्रधनुष के रंग कई ,
पर सब रंग दिखें साथ।
मानव के भी रूप कई ,
पर हम रहे खुद को बाँट।
माँ के लिए
सब बच्चे होते समान ,
फिर प्रकृति की गोद में ,
हम करों बनें असमान।
My work published on an hindi portal in 2001 - http://www.anubhuti-hindi.org/nayihawa/n/nitinrastogi/indradhanush.htm
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