चिता
चिता
यह कैसी आग है ?
सभी तरफ फैली हुयी,
ऊँची लाल तपती लपटें ,
सब कुछ जलाती हुयी ?
बढ़ती उफनती यह ज्वाला ,
मेरी तरफ ही आ रही है।
और वो मोहल्ले के बाबा,
देखो तो कहाँ जा रहे हैं ?
और यह पड़ोस की नानी ?
सुनती थी रोज कहानी,
आज किधर जाती हो ?
मुझे दूर कहाँ जाती हो ?
देखो तो बालसखा मेरे ,
जाते हैं कहाँ मुझसे मुंह फेरे ?
बचाओ मुझे इस आग से ,
क्यों भागे जाते हो अपने इस मित्र से ?
अब यह चिल्लाना कैसा ?
कौन कराहा ? क्या चरमराया ?
आज यह आग क्या जलायेगी ?
किस किस की चिता सजायेगी ?
बचाओ यह तो मेरा ही घर है ,
अंदर मेरे सपने हैं, मेरा संसार है।
घर में मेरी खुशियां हैं ,
संजो संजो कर रखी जीती जाती पुतलियां हैं।
बचाओ यह मेरे अपने हैं ,
यह चिता मेरे सपनों की है ,
मेरे अरमानों की है ,
मेरे अपनों की है।
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