Friday, November 14, 2014

Paati - Letter

पाती तुम्हें लिख रहा हूँ,
दिल थाम कर पढ़ना।
बातें तो बहुत हैं,
पर आज कुछ विशेष है कहना।
चाहो तो मुझे ही दोषी कहना,
पर मेरा हाल भी समझना।
जो सपने हमने देखे थे,
उन्हें जीवन मत समझना।
जिन राहों पर चलना था,
उन पर बबूल उग आये हैं, ज़रा देखना।
मेरा धीमे चलना तुम्हें नापसंद था,
पर तेज चलना कठिन है, ज़रा समझना।
तुम दूर जा चुकी हो,
पर मुझे आज भी अपने आंसुओं में पाना।
अब जो भी है, वही जीवन है,
इस जीवन को सुख से जीना।
मैंने भी जीवन से बहुत सीखा है,
तुम मेरी चिंता मत करना।
अब भी सपने देखना,
पर मुझे नायक मत बनाना।
इस संदेसे को खूब पढ़ना,
और जो अनकहा है, वह भी समझना।
दोषी न तुम हो, न मैं,
पर इस सज़ा को तो पड़ेगा सहना।
मैं हर गम सह लूँगा,
बस तुम्हारे सुख की ही करूंगा कामना।
फिर से विनती करता हूँ, कभी अलविदा ना कहना,
मुझे अपने आँसुओं में छुपा कर रखना।
पाती तुम्हें भेज रहा हूँ,
दिल थाम कर पढ़ना। 

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