Janani tum ho mahaan

जननी तुम हो महान,
जीवन उपजे तुमसे ही, 
और सिंचित हो तुमसे ही, 
जननी तुम हो महान। 

हो वह कुसमय,
या हो किसी का कुचक्र,
शेरनी बन करो तुम रक्षा, 
जननी तुम हो महान। 

ममता की छाँव फैलाती हो तुम, 
कभी प्रेम से तो कभी दंड से,
पथ दिखलाती हो तुम, 
जननी तुम हो महान। 

चाहें हो संतान का अभिमान,
या हो परिवार का स्वाभिमान,
स्वयं को त्याग कर सबकी बनती हो आन,
जननी तुम हो महान। 

हमसे होना न रुष्ट कभी, 
हमसे जाना ना दूर कभी, 
तुम्हारे बगैर ना हैं हम सभी, 
जननी तुम हो महान। 

Comments

Popular posts from this blog

Flags and their meanings in Mahabharata

Ganesha - Reviving the series - 10

Karwa Chauth - Why does moon rise so late?