Jeevan ke rang - Colors of life
मन में इच्छा थी, जीवन में रंग भरने की। रंग ढूंढने चला मैं, लाल नीले हरे पीले - सभी रंग। कभी होली, कभी दीवाली, कहीं लालिमा, कहीं हरियाली। ऊँगली पकड़ खड़े होते देखा, गिर गिर कर उठते देखा। उन्मुक्त हँसी से खिलखिलाते देखा, निश्छल मन से जीते देखा। किसी के विरह में बिछड़ते देखा, मिलान की ख़ुशी में फूलते देखा। फिर एक दिन, अचानक सब कुछ बदल सा गया। निश्छलता के रूप में छल आ गया, जोश से भरे चेहरों पर आयु का आवरण छ गया। झुर्रियां दिखने लगीं, साँसें उखाड़ने लगीं। अपने पराये होने लगे, विरही हैं प्रेम की आस तलाशने लगे। इतने रंग दिखने लगे, जीवन के चित्रपट भी छोटे पड़ने लगे। जीवन में कितने सारे रंग थे, और हर रंग के अपने ही मायने थे ! अब तो बस मन में इच्छा है, जीवन के सभ रंग देखने और समझने की...