श्रीमान नायक कहते हैं
नया है जमाना ,
बेटे और बेटी में फर्क बतलाना।
बेटी को खूब पढ़ाएंगे ,
पांचवी कक्षा में ही शादी करवायेंगे ।
बहू नहीं बेटी चाहिए ,
साथ में ट्रक भर दहेज़ चाहिए।
पश्चिम में फ़ैल रहा व्याभिचार ,
और खुद रखते पत्नी चार।
आधुनिकता है अनैतिकता का प्रचार ,
दूसरे के कपड़ों में झांकते हैं, ढूंढ मौके हजार।
स्वयं हैं समाज सुधारक ,
और कार्य हैं हृदय विदारक।
स्वयं हैं महाज्ञानी ,
तानों के सिवाय कुछ भी देना हैं बेमानी।
देने का हाथ तो है एक,
और बटोरने के अनेक।
बड़ों का करते हैं बहुत आदर,
सोचते हैं मरें तो काटें पाप के गागर।
प्रेम है ईश्वर का वरदान,
और प्रेमियों का मिलन है विषपान।
हम हैं बहुत ज्ञानी,
यह धन माया तो है एक दिन आनी जानी,
इसे जोड़ कर क्या करोगे ?
मेरे पास छोड़ कर सुखी रहोगे।
लूटपाट है धर्म इनका,
हिंसा ही है मंत्र इनका।
मेरे तरकस में हैं अनेकों तीर ,
एक से मरे ख्वाज़ा, एक से मरे पीर।
एकछत्र राज जो चलना है,
सर्वत्र अपना ही धर्म फैलाना है।
नया है जमाना ,
बेटे और बेटी में फर्क बतलाना।
बेटी को खूब पढ़ाएंगे ,
पांचवी कक्षा में ही शादी करवायेंगे ।
बहू नहीं बेटी चाहिए ,
साथ में ट्रक भर दहेज़ चाहिए।
पश्चिम में फ़ैल रहा व्याभिचार ,
और खुद रखते पत्नी चार।
आधुनिकता है अनैतिकता का प्रचार ,
दूसरे के कपड़ों में झांकते हैं, ढूंढ मौके हजार।
स्वयं हैं समाज सुधारक ,
और कार्य हैं हृदय विदारक।
स्वयं हैं महाज्ञानी ,
तानों के सिवाय कुछ भी देना हैं बेमानी।
देने का हाथ तो है एक,
और बटोरने के अनेक।
बड़ों का करते हैं बहुत आदर,
सोचते हैं मरें तो काटें पाप के गागर।
प्रेम है ईश्वर का वरदान,
और प्रेमियों का मिलन है विषपान।
हम हैं बहुत ज्ञानी,
यह धन माया तो है एक दिन आनी जानी,
इसे जोड़ कर क्या करोगे ?
मेरे पास छोड़ कर सुखी रहोगे।
लूटपाट है धर्म इनका,
हिंसा ही है मंत्र इनका।
मेरे तरकस में हैं अनेकों तीर ,
एक से मरे ख्वाज़ा, एक से मरे पीर।
एकछत्र राज जो चलना है,
सर्वत्र अपना ही धर्म फैलाना है।
सूत्रधार / खलनायक के विचार -
अब तो कहते हैं हम तुमसे यही नितिन,
करना बस यही जतन प्रतिदिन,
बनना हो तो रावण बनना, कंस बनना,
पर इस मानव तन में पसु मत बनना।
चेहरे पर मुखौटा मत रखना,
जो करना हो वही कहना।
इस कविता का शीर्षक नायकों कि भीड़ में कहीं गम हो गया,
एक बार फिर नायक खलनायक से जीत गया।
नायक करता भी रहा और कहता भी रहा,
और मैं इस अंतहीन जनसमूह में कर्मिष्ठ खलनायक ढूँढता रहा।
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