An ode to parents - Janak - Janani

हरी कोंपलों में
जन्मे थे, मजबूत शाखा से लग
सपने भी तो देखे थे?
फिर, आज इन पीले पत्तों से
मुंह क्यों मोड़ लिया?
इन्हें भी तो, समय ने
यहाँ ला कर छोड़ा।
इन्हीं के तो तुम रूप हो,
इन्हीं की हो छवि।
यह तुम्हारे जनक हैं,
और यही तुम्हारी जननी। 

Comments

Popular posts from this blog

Flags and their meanings in Mahabharata

Ganesha - Reviving the series - 10

Karwa Chauth - Why does moon rise so late?